
Wednesday, January 19, 2011
Friday, January 7, 2011
नन्हे चेहरे

हर नन्हे से चेहरे में एक मासूमियत-सी चमकती है ...
हर उस शकल में खुदा की मूरत सी छलकती है ...
रोते है यह बेवजह, तो हंसने को भी चाहिए भला उन्हें मतलब क्या?
पसंद का खिलौना न मिले तो शामत है आपकी और मनाने को इन्हें परी की कहानी है काफी
दो पैरों से डग-मग चलना जब यह सीखते है
पहली सीख हमें गिर कर फिर उठने की देते है
ऊँगली पकड़ कर हम उन्हें लिखने सीधे-तिरछे आंक सिखाते है,
या वो उस पल हाथ थामे हमें हमारे बीते बचपन की सैर करते है?
रंगों के बंधन में कहाँ वह बंधते है?
अस्मा हरा तो घास का रंग उनके क्रेयोन यूँ बदलते है!
हर चीज़ को टुकुर - टुकुर देख कर, न जाने क्या सोचते है?
नन्हे से दिमाग में पता नहीं कितने GB का डेटा स्टोर करते है
दोस्त बनाने को वजह वह नहीं ढूँढ़ते ...
कोई एक टोफी दे दे तो उसे कभी नहीं भूलते ...
हर नन्हे से चेहरे में एक मासूमियत-सी चमकती है ...
हर उस शकल में खुदा की मूरत सी छलकती है ...
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